थेओरी ऑफ़ रिलेटिविटी


क्या आप जानते है की हम लोग कितनी मिति में यानि dimensions में रहते है? कोई कहेगा २, कोई कहेगा ३. लेकिन इस बात पर पुराने जमानेसे ही बड़े बड़े वैज्ञानिको में भी मत भिन्नता है. इसका सही जवाब खोजने की कोशिश की सबसे प्रसिध्द वैज्ञानिक आइन्स्टाइन ने. सच कहे तो उनकी इस खोज के बाद ही वो पुरे दुनिया में फेमस हुए. आइन्स्टाइन के मुताबिक समय जैसी कोई बात होती ही नहीं. आइन्स्टाइन के इस थेओरी में आते है सिर्फ वेग और अंतर जो की न्युटन की थेओरी के बिलकुल विपरीत है. आइन्स्टाइन की माने तो समय सिर्फ एक ही referece में कम करने वाले व्यक्तियों पर लागु होता है. अगर अलग अलग reference हो तो समय भी अलग अलग होता है. चलो अब इतने भी कठिनाई में जाने की जरुरत नहीं. अगर दो लोग अलग अलग स्पीड से कही जा रहे है तो दोनों के समय में अंतर आ जाता है. जो सबसे तेज जाता है उसकी घडी धीमे चलने वाले व्यक्ति से कुछ कम समय रिकॉर्ड करती है. इस जगविख्यात थेओरी का नाम है थेओरी ऑफ़ रिलेटिविटी. अब आपको एक उदाहरण प्रस्तुत करता हु. मानलो की आप एक दिन एक अंतरीक्ष यान में सफ़र के लिए जा रहे है. आपके पास एक स्टॉप वाच रखी है. और एक स्टॉप वाच धरती पर रखी है और जैसे ही आप पृथ्विसे उडान भरते है की तुरन्त दोनों स्टॉप वाच एक साथ चालू की जाती है.अब आप बहुत तेजीसे अंतरीक्ष की ६० मिनट तक सैर करते है और वापस धरती पे लौट आते है. आपने आपकी घडी के हिसाब से पुरे ६० मिनट सफ़र किया है. तो जब आप धरती पे रखी घडी में देखते है तो आप हक्के बक्के रह जाते है क्योंकि धरती पे रखी हुई घडी में आपके पुरे सफ़र का समय दिखता है ८० मिनट. यह सब कुछ हुआ थेओरी ऑफ़ रिलेटिविटी के सिद्धांत के अनुसार.

          

अब और एक सबसे बड़ी बात. क्या होगा अगर कोई सफ़र करे प्रकाश की गति से? प्रकश की गति होती है लगभग ३००००० किलोमीटर प्रति घंटा. जब आप प्रकाश की गति से २ या ३ घंटे सफ़र करोगे और वापस धरती पे आओगे तो देखोगे की सफ़र के ३ घंटो में धरती पर आपकी २ या ४ पीढ़िया गुजर चुकी है. यानि आप आपके भविष्य में पहुच चुके होंगे. लेकिन आप वापस भूतकाल में कभीभी नहीं जा सकेंगे. आइन्स्टाइन की यह थेओरी आज भी सर्वश्रेष्ठ और सबसे ज्यादा अध्ययन की जाने वाली थेओरी है. आशा है की आपको यह थेओरी समज आई है और मेरा यह लेख आपको रोचक लगेगा. 

मोबाईल और बच्चे


एक जमाना था जब इन्टरनेट ही नहीं बल्कि मोबाइल फोने तक दिखाई देना बड़ा मुश्किल होता था, और एक है आज का दिन जब छोटे बच्चे से लेकर बड़े बुजुर्ग तक के हाथो में मोबाइल फोने दिखाई देता है. मोबाइल तथा इन्टरनेट के सबसे आसन शिकार होते है स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थी. आज सबकी विद्यार्थियों के पास लेटेस्ट मोबाइल फोन होते है जिसमे वे दिन रात कुछ करते रहते है. पता नहीं क्या करते है लेकिन कुछ अजीब प्रकार के काम करते होंगे, छोड़ो हमें उससे क्या! लेकिन हैरानी तो तब होती है जब कॉलेज में दाखिल होते वक्त बच्चे डिमांड करते है फ्री wifi की. आज हर एक इंजीनियरिंग कॉलेज में फ्री wifi मुहय्या किया जाता है और बच्चे चालू कक्षा में इन्टरनेट का इस्तेमाल कर के अजीबोगरीब वीडियो देखते रहते है और उनके आगे गुरूजी पाठ पढ़ा रह ते है. ये सब कलियुग का ही तो असर है और कुछ नहीं. उन बेचारे विद्यार्थियों का उसमे कोई दोष नहीं.जब तक कलियुग रहेगा, ये सब ऐसा ही रहेगा. हम सिर्फ देखने के अलावा और कर ही क्या सकते है?

कहां गई वो चिड़िया?



मेरे बचपन में निसर्ग के प्रति मेरा झुकाव बहुत ही ज्यादा था, वैसे वह आज भी है लेकिन आज की परिस्थिति के कारण मैं पर्यावरण को इतना समय नहीं दे पाता। इस सृष्टि में पाई जाने वाले पेड़-पौधे तथा विभिन्न तरह के पशु पक्षी मेरे मित्र हे । बचपन से ही मैं इन पेड़ पौधों में दिलचस्पी रखता हूं, मेरे बचपन में हमारे घर के आस-पास बहुत सारे पंछी आया करते थे । कुछ ने तो हमारे घर के पीछे पेड़ों पर बहुत सारे घोसले बना रखे थे। इन सभी में एक पंछी बहुत ही ज्यादा मात्रा में पाया जाता था और वह था चिड़िया। आजकल के जमाने में तो चिड़िया देखने को भी नहीं मिलती लेकिन जब मैं छोटा था तब 1991-92 के आसपास बहुत सारी चिड़ियाघर में , घर के आस-पास, इधर-उधर मकानों में दिखाई देती थी। उनकी इतनी भरमार थी कि उनके आवाज से पूरा मोहल्ला जी उठता था। दोपहर को तो मेरी दादी चिड़ियों के लिए खाना तथा पानी का इंतजाम हर रोज करती थी । दोपहर का खाना खाने के बाद मैं और मेरी दादी चिड़ियों को खाना देने में लग जाते थे । सारी चिड़िया उस खाने पर टूट पड़ती थी। कई चिड़िया तो मेरी दादी के बहुत पास आती थी जैसे ही मैं उनको पकड़ने के लिए जाता था वह सब चिडिया एक साथ उड़ जाती थी। वह एक वक्त था और एक आज का वक्त जहां पर चिड़ियों का नामोनिशान ही मिट गया है। पता नहीं क्या हो गया लेकिन लगता है कि आधुनिक समाज में चिड़ियों के लिए कोई जगह नहीं है । पता नहीं सब चिड़िया कहां चली गई ? मुझे मालूम है कि यह मेरे बचपन की दोस्त इतनी भी कमजोर नहीं कि किसी आधुनिक मानव के सामने हाथ टेक दे। मुझे लगता है यह मेरी दोस्त कहीं पे दूर चली गई है जहां आज भी किसी की दादी उन्हे प्यार देती होगी और मेरे जैसा ही कोई छोटा सा लड़का उन्हें देखकर बढ़ा हो रहा होगा।

दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी

दुनिया में कई प्रकार के विभिन्न पक्षी मौजूद है. हर एक की अलग अलग विशेषता है. कोई तेज उडान भरने में माहिर है तो कोई बढ़िया तैराक है. इन सब में एक पक्षी मेरा ध्यान अपनी और खिचता है जीसे कहते है चतुरमृग. चतुरमृग दुनिया में सबसे बड़ा पक्षी है. हालाकि चतुरमृग अपनी उड़ने की क्षमता खो चूका है. लेकिन भगवान ने उसे और एक अनमोल तोहफा दिया है और वो है उसकी दौड़ने की ताकद. चतुरमृग बहुत ही तेजीसे भाग सकता है और उसके पैर बहुत ही मजबूत होते है. ऐसा कहा जाता है की चतुरमृग की एक लाथ घोड़े का पैर भी तोड़ सकती है.

    

खतरा महसूस होने पर चतुरमृग तेजीसे दौड़ता है और हमला कर देता है. चतुरमृग अपने अंडे जमीन पर ही देता है. कई बार एक मादा दुसरे मादा के अन्डो के बीच उसके अंडे रख देती है, लेकिन इस पक्षी एक और विशेषता है की ये पक्षी बहुत सारे अन्डो में से खुद के अंडे आसानी से पहचान सकता है. मादा सूँघकर उसके अंडे अलग करती है और दुसरे मादा के अंडे  लुढ़काकर दूर कर देती है.दौड़ने में माहिर ये पक्षी ज्यादातर अफ़्रीकी देशोमे और ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है. वाकई ये धरती अनोखे प्राणियों और पक्षियों से भरी पड़ी है.

अनोखी वसुंधरा


विज्ञान हमें आधुनिकता की ओर ले जाता है तथा इसी विज्ञान के जोर पर हम इंसानो ने काफी तरक्की की है । इसी विज्ञान के भरोसे हमने इस ब्रम्हांड का सच जानने की कोशिश कि । हम सभी को पता हे कि कई सारे वैज्ञानिक इस ब्रम्हांड की खोज करते आ रहे हैं , इसी कड़ी में एक शोध है हमारी ही जैसी किसी और सृष्टि की जानकारी हासिल करना तथा इस ब्रम्हांड में मौजूद किसी ऐसे ग्रह को खोज निकालना कि जिस पर सजीव सृष्टि की संभावना हो।  हम सभी जानते हैं कि पुरे ब्रम्हांड में कई सारे ग्रह तथा तारे मौजूदा हैं। हमें पता हे कि पृथ्वी पर जीवन मौजूद है उसी प्रकार इस पूरे ब्रम्हांड में कई ऐसे ग्रह मौजूद होंगे जीन पर सृष्टी या फिर यूं कहिए जीवन मोह युद्ध इसी को खोज निकालने में दुनिया के बहुत सारे वैज्ञानिक जुटे हुए हैं उसमें से अमेरिका की नासा तथा भारत से इसरो के लोग कई सारे वैज्ञानिक उपकरण से अन्य सृष्टि की खोज में जुटे हुए है, लेकिन आज तक किसी भी संस्था को या फिर वैज्ञानिकों को बाहरी ब्रहमांड में जीवन के अस्तित्व की जानकारी हासिल नहीं हो पाई है. हमने कई सारे अंतरिक्ष यान आकाश में भेजे हैं जो अब तक किसी भी जगह से जीवन की संभावना नहीं बता पाए है. ऐसा नहीं है कि इस पूरे ब्रहमांड में कहीं पे भी जीवन का अस्तित्व ना हो, लेकिन अब तक के संशोधन में यही पाया गया है कि हमें ऐसे किसी भी ग्रह की जानकारी नहीं है कि जिस पर जीवन मौजूद हो. तो इसका एक बहुत बड़ा मतलब निकलता है और वह यह है कि हमारी प्रथ्वी सूर्य ब्रहमांड में एक बहुत ही अनोखी एवम बहुमूल्य है. इस धरती पर सजीव और निर्जीव एक साथ रहते हैं और इसी पृथ्वी पर जीवन बनता है. हमारी सृष्टि भगवान ने हमें दिया हुआ एक बहुत ही अनमोल तोहफा है, लेकिन अगर ठीक से देखें तो आज हमें इस पृथ्वी पर गंदगी प्रदूषण और अन्य कई सारी चीजें नजर आती है. आज हमें पता हे कि हमारे समाज में बहुत सारी परेशानियां मौजूद है जैसे कि कई जगहों पर अकाल पड़ा हुआ है कई सारे मुल्कों में गरीबी है, गरीब लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है. कई जगह पर जात पात तथा धर्म भेद हे. इन सारी कठिनाइयों में से भी एक कठिनाई सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और वह है प्रदूषण की समस्या. पर्यावरण प्रदूषण एक ऐसी बीमारी है कि जो धीरे-धीरे बढ़ती है और अगर उस पर ठीक से काम नहीं किया जाएं तो पूरी कायनात पर इसका असर पड़ने वाला है. प्रदूषण की समस्या बहुत ही जटिल है और जिसका समाधान ढूंढना बहुत ही मुश्किल तथा खर्चीला काम है. वैज्ञानिक नजरिये से देखा जाए तो इस पृथ्वी पर तीन तरह के प्रदूषण मौजूद है, पहला तो है वायु प्रदूषण यानी हवा प्रदूषण, दूसरा है पानी का प्रदूषण यानी जल प्रदूषण और तीसरा है मिटटी का प्रदूषण. अब हम अगले अंक में इस पर्यावरणीय समस्या के बारे में और जानकारी लेंगे, तथा देखेंगे कि यह प्रदूषण किस कारण होता है, कौन-कौन से पदार्थ किस तरह प्रदुषण को बढ़ाते हैं, कौन कौन सी चीजें हमें नहीं करनी चाहिए, इस प्रोब्लेम को हमें कैसे रोकना हे.
तब तक आप सभी वाचको का धन्यवाद्, ऐसेही मेरे ब्लॉग पर बने रहिये, नमस्कार!

तरक्की और इन्सान


आज इंसान ने काफी तरक्की की है, लेकिन हमें यह भी ध्यान देना चाहिए कि हमारी वजह से इस प्रकृति को बहुत सारा नुकसान हो रहा है प्रदूषण की समस्या दिन पे दिन बढ़ती ही जा रही है. प्रदूषण 3 तरह के होते हैं, पहला है हवा प्रदूषण दूसरा है जल प्रदूषण और तीसरा हे मिट्टी प्रदूषण.


प्रदूषण चाहे जिस किसी भी तरह क्यों ना हों, वह हमारे इंसानों के लिए बहुत ही खतरनाक है, न केवल हम इंसान बल्कि सभी जीवित प्राणी इस प्रदूषण के कारण मुसीबत में है. अगर हमने अभी से इस प्रदूषण को कम करने की या फिर किसी तरह बंद करने की कोशिश नहीं की तो भविष्य में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है. अगर आज जैसी स्थिति हमेशा बनी रहती है तो भविष्य में यह धरती रहने योग्य नहीं रह सकती इसलिए यह हमारा कर्तव्य है कि हम प्रदूषण को जड़ से हटा दे.
इसके लिए सबसे पहले हमें बहुत सारे पेड़ लगाने होंगे. कमसे कम प्रदुषण हो इसका ध्यान रखना होगा. मोटर सायकिले और अन्य वाहनों का इस्तेमाल कम करना होगा. चाहे जो भी करना होगा हम करेंगे. हमारे अगले पीढ़ी का भविष्य हमारे हातो में है, उसे बर्बाद मत कीजिये.

जलो रे भाई जलो

जलन एक सामान्य बीमारी है. भारत में जलन लगभग हर इन्सान में देखि जा सकती है. भारत के इतिहास को अगर गौर से देखे तो यह पता चलता है की जलने की सुरुवात बहुत ही पुरानी है. रामायण और महाभारत में भी कई ऐसे पात्र नजर आयेंगे जो एक दुसरे से जलते थे. आधुनिक मानव भी जलने की प्रक्रिया में एक कदम भी पीछे नहीं है. आज कल तो हर कोई एकदूसरे पे जलता है. जहा कही कुछ अच्छा हुआ नहीं की जलना शुरू. दुनिया में अगर जलने का वर्ल्ड रिकॉर्ड चेक किया जाये तो पहला नंबर मिलता है केजरीवाल साहब को, और अगर जिसपर लोग सबसे ज्यादा जलते है ऐसा महानुभाव ढूंढे तो वो श्रीमान है नमोजी मोदी. खैर जो भी हो मेरे इस बड़े ही रोचक और खुबसूरत लेख को पढ़कर वाचक जल सकते है, क्योंकि अरे भाई ठण्ड जो बढ़ने लगी है, थोड़ी गर्मी भी तो चाहिए!

इंजीनियरिंग डिग्री और भारत




भारत में इंजीनियरिंग एक काफी आम डिग्री बन चुकी है. हर घर में एक इंजीनियर आपको दिखाई देगा, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जब भारत में बहुत सारी कंपनियां शुरु हुई तब इंजीनियर्स की काफी बड़ी मात्रा में ज़रूरत बन गई. इसी जरूरत को पूरा करने के लिए कई सारे इंजीनियरिंग की कॉलेज शुरु हुए और आज हम देख सकते हैं कि कम से कम एक आदमी हर घर में इंजीनियर हो चुका हे या फिर पड़ रहा है. अब इसका नतीजा धीरे-धीरे नजर आने लगा हे, हर तरफ इंजीनियर्स ही इंजीनियर्स दिखाई दे रहे है. अनएंप्लॉयमेंट बहुत ज्यादा बढ़ गई है. एक दिन ऐसा आएगा कि इंजीनियर्स को जॉब मिला बहुत ही मुश्किल हो जाएगा और तब यह सारी इंजीनियरिंग की कॉलेजेस बंद हो जायेंगे.

भारत के मंदिर


भारत एक अद्भुत एवं खंड प्रदेश बहुत पुरानी जमाने में भारत में राजाओं की राजू थिन राजाओं ने भारत में बहुत सारी मंदिरों का निर्माण किया अब भारत जो कि बहुत विशाल है उसमें तरह-तरह की शैली आप प्रस्तावित भी और इसीलिए भारत में अलग-अलग संस्कृतियां पन्ने बढ़ने लगी इसी कारण भारत के विभिन्न जगहों पर तरह-तरह की शैली आरक्षित हुई अगर आप भारत की सैर करें तो आप को प्रत्येक जगह पर अलग-अलग शैली के मंदिर नजर आएंगे.


इन सभी में सबसे पुराने हैं दक्षिण भारत के मंदिर तथा पूर्वोत्तर मंदिर इन मंदिरों की एक विशेषता है यह मंदिर पूरे पत्थर से बने हुए हैं और काफी विशाल है ज्यादातर मंदिर भगवान शिव के तथा विष्णु जी के शिव जी के मंदिर भारत में हर जगह हर शहर में हर गांव में देखे जा सकते इन सभी मंदिरों में सबसे प्रसिद्ध मंदिर हे भगवान केदारनाथ का जो कि हिमालय में स्थित हे हिमालय में ही एक और जगह प्रसिद्ध है और वहां है अमरनाथ मंदिर से सामान आ जाता है कि बाबा अमरनाथ सबसे शक्तिशाली एवं अद्भुत है यह बाबा अमरनाथ जी का पिंड साल में रुचि महीने प्रकट होता है और गर्मियों के बढ़ते ही वह पिंड छोटा होता होता समाप्त हो जाता है भारतवर्ष में बाबा अमरनाथ की यात्रा में कई सारे श्रद्धालु भाग लेते हैं या इलाका बहुत ही दुर्गम और कठिन हे इतना ही नहीं बाबा अमरनाथ की गुफा तक जाने के लिए नेपाल और चीन से जानवर का है इसलिए यह और भी खतरनाक हो जाता है भारत की यह सब प्राचीन मंदिर भारत के संस्कृति का आईना हे.


ये मंदिर बनाने में काफी जादा वक्त और मेहनत लगी है तथा राजाओं के आश्रय से इनको बना नामुनकिन हुआ हे सभी भारतीयों को हमारे इन पांच इन अंधेरों पर गर्व होना चाहिए तथा इनकी देखभाल और दोस्ती अच्छे से होनी चाहिए.

मेरे खून के दुश्मन

इस साल भारत में काफी अच्छी बारिश हुई है. किसान बहोत खुश है. मेरे गाव के आसपास का इलाका तो पूरा हराभरा हुआ है. मेरे घर के आजूबाजू हरियाली ही हरियाली खिली है. सभी इतना बढ़िया चल रहा है लेकिन एक बात मुझे परेशान किये जा रही है और वो है कम्बखत मछर. पानी की उपलब्धता और हरे भरे पेड़ो के कारन आसपास बहुत सारे मछर घूम रहे है और मेरा खून चूस रहे है. भारत के कई इलाको में डेंगू और चिकन गुनिया जैसी बीमारिया फ़ैल रही है. हाय मेरी किस्मत ही ख़राब है. दो मिनट एक जगह बैठा नहीं की आ जाते है मेरे खून के दुश्मन तंग करने. आप भी इनसे बचे रहिये वरना मुसीबत आ सकती है.

        

आश्चर्यकारक एवं अद्भुत जीव

जरा देखिये तो इसे कैसे आराम से जी रहा है. ये है मेरा सबसे पसंदीदा जीव है. इस अनोखे जीव को कहते है “स्लोथ”. स्लोथ एक सस्तन प्राणी है जो की पेड़ो पर विहार करता है. यह बहुत ही कम बार पेड़ से निचे उतरता है. इस की सबसे बड़ी और अनोखी बात है इसके मुड़े हुए नाख़ून. यह जीव उल्टा लटककर पेड़ पर इधर से उधर जाता है. कई सारे स्लोथ तो पेड़ पर उल्टे लटके हुए अवस्था में ही मरे हुए अनेको दिन पेड़ पर रह जाते है. स्लोथ की एक और अनोखी बात है की इसका रंग हरा भूरा होता है. हालाकि इसका यह हरा रंग उसके त्वचा पे पलने वाली शैवाल के कारन होता है. शैवाल ही नहीं बल्कि और भी बहुत सारे छोटे छोटे प्राणी स्लोथ के शरीर पर पाए जाते है. इसकी और एक अनोखी बात है इसकी हलचल, यह बहुत ही सुस्त प्राणी है और एक पेड़ से दुसरे पे जाने के लिए इसे कई दिन लग सकते है. देखा जाये तो इसकी विशेषता की गिनती करना मुश्किल है, इतना सुस्त होते हुए भी स्लोथ एक बहुत ही अच्छा तैराक है, जी हा ये डूबता नहीं तैर कर जाता है, आश्चर्य है ना! इसीलिए तो ये मेरा पसंदीदा प्राणी है.

      

आधुनिकता औऱ प्रदुषण


आधुनिकता औऱ नई टेक्नॉलॉजी ने हमारी अंगमेहनत कम कर दी लेकिन साथ हि दिया प्रदुषण। यह प्रदुषण एक दिन सबके विनाश का कारण बनेगा।

मन दर्पण चर्चामंच के बारेमें जानकारी

मन दर्पण चर्चामंच 
नमस्कार दोस्तों मैं हूं शशील कल्कि। बहोत दिनो से मन के विचार व्यक्त करना चाहता था, तो दोस्तोंसे ब्लॉगर के बारेमें पता चला।  उमीद है की आप सभी को मेरा ये ब्लॉग पसंद आएगा, और आप सभी इस चर्चा मंच पर मेरा साथ देंगे।  हमेशा मेरी यही कोशिश रहेगी की आपको हर समय कुछ अच्छा और उपयुक्त ज्ञान इस ब्लॉग पर उपलब्ध कर सकु। हम सभी को हमारे विचार व्यक्त करना अच्छा लगता है, ये सारे विचार और भी उपयुक्त हो सकते है जब अलग अलग विचार के लोग किसी मुद्दे पे चर्चा करे, उसपे बातें करे।  इस चर्चा मंच का मेरा उद्देश्य यही है की अलग अलग विचारधारा के लोग यहाँ चर्चा करे और समाज  उथान हो सके।

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