हमारी वसुंधरा

हमारी वसुंधरा बड़ी ही अनोखी है. आज तक नासा और अन्य कई अवकाश संस्थाओ ने कई बार अन्य ग्रहों पे जीव सृष्टि खोजने की कोशिश की लेकिन आज तक कोई भी वैज्ञानिक इस बात की पुष्टि नहीं कर सका है की अन्य किसी आकाशगंगा में सजीवो का अस्तित्व हो. यही बात साबित करती है की भगवान ने हमारी वसुंधरा बहुत ही सोच समजकर बनाई है. हमारी पृथ्वी एकमात्र ऐसी जगह है जहा पे जीवन है. अब एक महत्वपूर्ण बात यह है की इतने दुर्लभ और एकमात्र होते हुए भी हम लोग हमारी इस फुल सी सुन्दर धरती को नरक में तब्दील करना क्यों चाहते है? आज हर जगह पेड़ कट रहे है, पानी विषैला बना दिया जा रहा है, लोग तरह तरह की मोटर साइकिलों से इस खुबसूरत वातावरण में प्रदूषित वायु क्यों छोड़ रहे है?
बात सिर्फ इतनी ही नहीं है. आज बड़े बड़े राष्ट्रों के पास एटम बम जैसे विस्फोटक भरे पड़े है. अगर किसी दिन इनका विस्फ़ोट किया जाये तो अपरिमित हानी होना अटल है. इन अण्वस्त्रधारी देशो को पृथ्वी का नरक बनाने में एक मिनट का भी वक़्त नहीं लगेगा. आज हमें चाहिए शांति स्वास्थ और शिक्षा लेकिन पाकिस्तान जैसे दहशद फ़ैलाने वाला देश दुनिया भर के हर देश के लिए एक चुनोती है. पाकिस्तान टेररिस्ट की मातृभूमि तथा पनाहगार है. दुनिया का सबसे खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन भी पाकिस्तान छुपा बैठा था. लेकिन पता नहीं फिर भी अमेरिका पाकिस्तान को इतने बड़े पैमाने पर हत्यार और पैसे की मदत क्यों कर रहा है? क्या वो चाहता है की टेररिस्ट बचे रहे? काश इस बात का जवाब मी सकता. जाने दीजिये मेरी बात हमारे आज के विषय से बहुत दूर जा रही है. हमारी बात चल रही है हमारे वसुंधरा को बचाने की. क्या आप के पास इसे बचाने का कोई उपाय है? अगर हा तो हमें और हमारे वाचको को जरुर बताएं.

भारतीय और प्रदुषण

भारत में प्रदुषण की बात एक बहुत ही आम बात है. भारत में जहा देखो वहा कचरे के ढेर नजर आयेंगे. लोगोमे प्रदुषण के प्रति जिम्मेदारि का अभाव इसका एक प्रमुख कारण है. सबसे ज्यादा समस्या पानी और हवा प्रदुषण के बारे में है. लोग घर में जमा कूड़ा कचरा इत्यादि बड़ी आसानीसे जलस्त्रोतो में फेक देते है. कचरे को नालों में, नदियों में डालनेसे कुछ नुकसान हो सकता है इसके बारे में कौन सोचता है? अपने घर का कचरा एक बार चला गया तो समजो सब कुछ ठीक है, फिर चाहे उस कचरे के कारन पानी प्रदूषित ही क्यों न हो. 



यही बात है हवा प्रदुषण की. जो जी में आये उसे जहा चाहे जला देते है भारत के लोग. सबसे ज्यादा जलाऊ चीज है रबर के टायर और प्लास्टिक के साधन. प्लास्टिक और रबर जलते ही बहुत ही हानिकारक और विषैले वायु हवा में छोड़ते है. इससे वातावरण बहुत ही प्रदूषित होता है. लेकिन अक्ल की कमी के कारण तथा ज्यादा अकल के कारण भारत में ये चीजे होती रहती है. बाकि दुनिया में क्या चल रहा है ये तो भगवान ही जाने. जब तक लोगो के मन में हमारे प्रकृति के प्रति अपनापन जागरूक नहीं होता तब तक ये सिलसिला यु ही चलता रहेगा. इन्सान की सोच सब कुछ बदल सकती है, और इस सोच को बदलने के लिए मेहनत करनी पड़ती है, पढाई करनी पड़ती है, विभिन्न विषयो की किताबे, समाचार, पुस्तिकाए, इत्यादि साहित्य पढ़ना पड़ता है. तभी जाकर हमारा देश ही नहीं बल्कि पूरी पृथ्वी स्वच्छ एवं सुन्दर बनेगी.

सामाजिक पक्षी कौवा

मेरे पसंदीदा पक्षियों में एक और नाम मेरे दिमाग में दौड़ता रहता है और वो है कौवा. बचपन से ही मेरा संपर्क ज्यादातर कौवो और चिडियोसे चला आ रहा है. दोपहर का वक़्त हो मई महीनेका दिन, मुझे गर्मियों की छुट्टी, में अकेला दोपहर को बैठा रहा बगीचे में और वहा कौवे महाशय न आये ऐसा तो कभी होता ही ना था. काव काव करता कौवा हमेशा हमारे घर के आसपास, झाड़ियो में यहाँ वहा दिखाई देता था. बचपन में मुझे कौवो से डर भी लगता था, उसका कारन भी था, मेरे दादाजीने मुझे बताया था की कभी कभी कौवे हमारी आँख अपनी चोंच से फोड़ डालते है. हरे राम और में डरता भी क्यों ना क्यूंकि बचपन में दो बार दोपहर के वक़्त कौवो ने आसमान से सीधे मेरे सर पर चोंच मारने की कोशिश भी की थी. लेकिन जैसे जैसे में बड़ा होता गया मेरा वो डर कम होता गया, लेकिन आज भी में कौवो से सावधान रहता हु.




बचपन में मेरे स्कूल के बच्चे रोटियों के तुकडे हवा में फेकते थे तो कौवे आसमान में ही उन्हें पकड़कर उड़ जाते थे. कौवा एक बड़ा ही होशियार और चतुर पक्षी है. कौवा एक बहुत ही सामाजिक पक्षी भी है. यदि बहुत सारे कौवे एक साथ आजाये तो समज लेना की उनकी शोक सभा चालू है. मैंने बहुत बार कौवो की भीड़ मरे हुए कौवे के आजूबाजू देखि है. कभी कभी कौवे खुद की स्कूल भी भरवाते है. शाम के वक़्त ज्यादातर कौवे एक साथ देखे जा सकते है. शायद वे एक दुसरे से दिनभर हुई घटनाएँ शेयर करते होगे. लोग कौवे के बारे में जो भी कहे लेकिन मृत्यु पश्यात कौवा पिंड को छूना ही चाहिए नही तो आत्मा को शांति नहीं मिली ऐसी एक आम धारणा हिन्दुओ में है. खैर जो भी हो, आज जब भी मै कौवे के बारे में सोचता हूँ मेरा मन बचपन में चला जाता है, क्योंकि मेरे बचपन के साथ ही कौवे भी भूतकाल में छुट गए है. अब पेड़ ही नहीं बचे तो कौवे कहासे आयेंगे, काव काव कैसे करेंगे और मुझ पर हमला कैसे करेंगे???

निर्णय



क्या कभी आपको आपके निर्णय लेने के बाद पछतावा हुआ है? जवाब अगर हा है तो आप तो मेरे ही बिरादरी के हो! में तो हैरान हो गया हु मेरी इस आदत से. पता नहीं क्यों लेकिन बहुत बार निर्णय लेने के बाद गलती होने का अहसास होता है. मुझे लगता है की इन सभी मुश्किलों के पीछे है बिना सोचे समझे निर्णय लेना. बहुत बार हमसे गड़बड़ी में निर्णय लिया जाता है. हम ये सोचे बिना ही निर्णय लेते है की इस निर्णय के कारन भविष्य में क्या मुसीबते आ सकती है. शायद आपमे से सभी को यह अनुभव कभी ना कभी जरुर आया होगा. मेरे हिसाब से हमें निर्णय लेनेसे पहले थोडा समय लेकर सोच विचार करके फिर निर्णय लेना चाहिए जिससे हमारे लिए निर्णय सही साबित हो सके.

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